*बिलासपुर हाईकोर्ट छत्तीसगढ़ : 29 साल बाद बेटे को पिता से मिला उसका हक, हाईकोर्ट ने सुनाया अनोखा फैसला, रुला देगी एक मजबूर मां की कहानी*

*बिलासपुर हाईकोर्ट छत्तीसगढ़ : 29 साल बाद बेटे को पिता से मिला उसका हक, हाईकोर्ट ने सुनाया अनोखा फैसला, रुला देगी एक मजबूर मां की कहानी*
*बिल्हा से रिपोर्टर नीरज तिवारी*
बिलासपुर : एक बेटा 29 साल तक इस बात के लिए लड़ता रहा कि उसे पिता से उसका हक मिले. पिता ये हक देने से हर बार न केवल मना कर देता, बल्कि फैमिली कोर्ट का केस भी जीत जाता था. इस बार मामला बिलासपुर हाईकोर्ट में था. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने बेटे को उसके जैविक पिता से पूरा हक दिलाया.
सूरजपुर से बड़ी खबर है. यहां हाईकोर्ट ने बिन बिहाई मां से जन्मे बच्चे को जन्म के 29 साल बाद हक दिलाया. हाईकोर्ट ने उसे वैध पुत्र मानते हुए जैविक पिता से सभी लाभ प्राप्त करने का हकदार बताया. हाईकोर्ट ने इस मामले में फैमिली कोर्ट के फैसले को कानून के अनुरूप नहीं पाया और उसे खारिज कर दिया. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद युवक खुश है. उसे भविष्य में मूलभूत सुविधाओं के लिए वंचित नहीं होना पड़ेगा. हाईकोर्ट के इस फैसले की चर्चा हो रही है.बता दें, इस युवक से पहले उसकी मां ने भी भरण-पोषण के लिए फैमिली कोर्ट में अपील दायर की थी. लेकिन, फैमिली कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था. दरअसल, सूरजपुर जिले में रहने वाले युवक ने अपने जैविक पिता से भरण पोषण और उनकी संपत्ति में हक दिलाने फैमिली कोर्ट में परिवाद लगाया था. यहां सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी. उसके बाद शख्स ने हाईकोर्ट में इसके खिलाफ अपील की. इस अपील में कहा गया कि उसके जैविक पिता और मां पड़ोस में रहते थे. दोनों के प्रेम संबंध से उसकी मां गर्भवती हो गई !
*मां ने किया गर्भपात से इनकार*
पिता ने गर्भपात कराने कहा, लेकिन मां ने इनकार करते हुए मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई. उसके बाद नवंबर 1995 में लड़के का जन्म हुआ. वह अपनी मां के साथ रहा. मां ने स्वयं और बच्चे के भरण पोषण के लिए फैमिली कोर्ट में प्रकरण दाखिल किया. फैमिली कोर्ट ने सुनवाई की और मामला खारिज कर दिया. इस फैसले के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की. इधर अप्रैल, 2017 में युवक बीमार पड़ गया. उसने वित्तीय संकट देखते हुए जैविक पिता से इलाज के लिए आर्थिक मदद मांगी. लेकिन, पिता ने मना कर दिया. इससे नाराज होकर युवक ने फिर फैमिली कोर्ट में संपत्ति का दावा पेश किया. इसे भी फैमिली कोर्ट ने नकार दिया. उसके बाद उसने फिर हाईकोर्ट में इसकी अपील की.हाईकोर्ट ने माना वैध
पुत्र यहां जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने परिवार न्यायालय के निष्कर्ष को खारिज कर दिया. हाईकोर्ट ने युवक को दोनों का वैध पुत्र घोषित किया. साथ ही उसे पिता से मिलने वाले सभी लाभों का हकदार घोषित किया है. अपीलकर्ता युवक का जन्म 1995 में हुआ था, वह करीब 29 वर्ष का है. युवक को लंबी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट से उसका हक मिला