*श्याम संगीत सृजन संस्थान द्वारा संचालित विश्व संगीत पाठशाला में आज के खास मेहमान रहे पुणे महाराष्ट्र से डॉ. निर्मला राजपूत*

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*श्याम संगीत सृजन संस्थान द्वारा संचालित विश्व संगीत पाठशाला में आज के खास मेहमान रहे पुणे महाराष्ट्र से डॉ. निर्मला राजपूत*

*”इस अवसर पर पाठशाला में शामिल प्रशिक्षार्थियों द्वारा प्राप्त प्रशिक्षण के अनुभव अनुसार अपनी- अपनी प्रस्तुतियां दी गई।”*

*”आज के खास मेहमान डॉ. राजपूत ने अपना विचार साझा करते हुए कहा कि इस संस्थान द्वारा संचालित गुरु शिष्य परंपरानुसार आनलाइन संगीत प्रशिक्षण कार्यक्रम अति प्रशंसनीय है!”*

*इस कार्यक्रम में शामिल होकर मैं स्वयं गौरवान्वित महसूस कर रही हूॅ॑, मुझे भी हार्दिक इच्छा हो रही है कि मैं भी संगीत प्रशिक्षण प्राप्त करूॅ॑*

हमर छत्तीसगढ़ न्यूज नारायण राठौर

 

*सक्ती छत्तीसगढ़ -*
श्याम संगीत सृजन संस्थान सक्ती द्वारा संचालित श्रीश्याम संगीत प्रशिक्षण केन्द्र रायपुर के केन्द्र प्रभारी डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’ द्वारा संस्था के एक प्रवक्ता के रूप में बताया गया कि श्याम संगीत सृजन संस्थान की स्थापना के 25 वें वर्ष को इस वर्ष “रजत जयंती” वर्ष के रूप में साहित्यिक व सांस्कृतिक विषय पर आनलाइन कार्यक्रम के साथ उत्साह पूर्वक मनाया जा रहा है।
डॉ. रमा ने आगे बताया कि संस्थान द्वारा भारतीय कला संस्कृति के संरक्षण- संवर्धन एवं सांस्कृतिक विकास के साथ ही साथ लोक-कला संस्कृति व लोक-परम्परा के प्रचार-प्रसार व विस्तार हेतु “विश्व संगीत पाठशाला” का संचालन करते हुए विभिन्न राज्यों के सम्पूर्ण नशामुक्त व शुद्ध शाकाहारी भारतीय शिक्षित महिलाओं को 15 अगस्त से 15 नवंबर 2024 तक त्रैमासिक निःशुल्क संगीत प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इस अवसर पर संस्थान के संचालक (अध्यक्ष) संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा भारतीय शास्त्रीय संगीत गायन की बारिकियों को सरल विधि से समझा- समझा कर सिखाया जा रहा है, जिसमें शामिल प्रशिक्षार्थी काफी उत्साह के साथ संगीत का अभ्यास कर रहे हैं।
इस अवसर पर संगीत प्रशिक्षार्थियों के उत्साहवर्धन व मार्गदर्शन के लिए देश के प्रबुद्ध साहित्यकारों एवं सांस्कृतिक प्रेमी रचनाकारों को “आज के खास मेहमान” के रूप में आमंत्रित कर प्रशिक्षण कार्यक्रम में सृजनात्मक ढंग से उत्साहवर्धन किया जा रहा है।
इसी क्रम में 03 अक्टूबर को पुणे विश्वविद्यालय से डॉ. निर्मला राजपूत को आमंत्रित किया गया था, उन्होंने कहा इस संस्थान द्वारा संचालित गुरुकुल जैसे गुरु शिष्य परम्परा के अनुसार संगीतज्ञ- गुरुजी के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होकर मुझे स्वयं गौरवान्वित महसूस हो रहा है, मैंने अपने जीवन काल में फिल्मी गीतों पर शोध कर पीएचडी उपाधि प्राप्त की है और संबंधित फिल्मी गीतों की व्याख्या करने में उपलब्धि प्राप्त हुई है जिससे अब मैं पुणे विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग में प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हूॅ॑, मैं एक प्रसिद्ध रचनाकार भी हूॅ॑ एवं मंच संचालन का कार्य भी आसानी के साथ कर लेती हूॅ॑, किन्तु यहां एक गुरुकुल जैसे संगीत सिखाया जा रहा है ऐसा अवसर मुझे प्राप्त नहीं हो पाया, संगीत से मुझे भी काफी लगाव है, यदि गुरुजी चाहें तो मैं भी इस प्रशिक्षण पाठशाला में शामिल होकर संगीत सिखना चाहुंगी।
इस अवसर पर संस्था के प्रशिक्षार्थियों द्वारा प्रस्तुत शास्त्रीय संगीत गीतों को डॉ. राजपूत जी द्वारा परिभाषित करते हुए उन्हें हार्दिक आत्मीयता के साथ प्रोत्साहित किया गया, जिससे प्रशिक्षार्थियों में काफी उत्साह देखा गया।
इस अवसर पर संगीत प्रशिक्षार्थियों के रूप में जयपुर राजस्थान से सेवा निवृत्त प्रो. रेखा गुप्ता, गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर पौड़ी गढ़वाल से प्रो. ऋषिका वर्मा, नागपुर महाराष्ट्र से श्रीमती वीणा केसरवानी, रायपुर छत्तीसगढ़ से डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’, श्रीमती शुभा शुक्ला ‘निशा’, श्रीमती सुषमा प्रेम पटेल एवं श्रीमती श्रद्धा पाठक, जोधपुर राजस्थान से डॉ. संजीदा खानम् ‘शाहीन’, गोरखपुर उत्तरप्रदेश से श्रीमती सुनैना गुप्ता, रायगढ़ छत्तीसगढ़ से श्रीमती सीमा सुरेश पटेल, घरघोड़ा रायगढ़ से श्रीमती श्रद्धा शर्मा एवं पुणे महाराष्ट्र से पूनम आदि संगीत साधिकाओं द्वारा अपने-अपने संक्षिप्त परिचय के साथ अपनी प्रस्तुतियां दी गई।
कार्यक्रम का सफल संचालन संगीतज्ञ- गुरुजी द्वारा किया गया, उन्होंने बताया कि अगले कार्यक्रम में “आज के खास मेहमान” के रूप में 05 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ रायपुर से संस्कृति एवं राजभाषा आयोग के सचिव श्रीमती अभिलाषा बेहार मैडम जी, 06 अक्टूबर को भागलपुर बिहार से प्रो आशा तिवारी “ओझा” जी एवं 07 अक्टूबर को नोएडा दिल्ली से प्रो. भावना शुक्ल जी के द्वारा संगीत प्रशिक्षार्थियों को मार्गदर्शन, उत्साहवर्धन एवं आशीर्वचन प्रदान किए जाने हेतु सादर आमंत्रित किया गया है।
इस सत्र में सर्वप्रथम डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’ द्वारा अतिथि स्वागत में कुछ साहित्यिक दोहे पाठ से स्वागत किया गया और कार्यक्रम के समापन अवसर पर भी उन्हीं के द्वारा खास मेहमान का आभार व्यक्त कर अध्यक्ष की अनुमति से कार्यक्रम का समापन किया गया।

 

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