*श्याम संगीत सृजन संस्थान द्वारा संचालित विश्व संगीत पाठशाला में “आज के खास मेहमान” रहे भागलपुर बिहार से प्रोफेसर डॉक्टर आशा तिवारी ओझा*

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*श्याम संगीत सृजन संस्थान द्वारा संचालित विश्व संगीत पाठशाला में “आज के खास मेहमान” रहे भागलपुर बिहार से प्रोफेसर डॉक्टर आशा तिवारी ओझा*

*”इस अवसर पर पाठशाला में शामिल प्रशिक्षार्थियों द्वारा प्राप्त प्रशिक्षण के अनुभव अनुसार अपनी- अपनी प्रस्तुतियां दी गई।”*

*”आज के खास मेहमान प्रोफेसर डॉक्टर आशा तिवारी “ओझा” ने अपना विचार साझा करते हुए कहा कि इस संस्थान द्वारा संचालित गुरु शिष्य परंपरानुसार आनलाइन निःशुल्क संगीत प्रशिक्षण कार्यक्रम इसलिए अति प्रशंसनीय है कि साहित्य के साथ सांगीतिक विषय को महत्वपूर्ण बनाए रखा गया है !”*

*”ऐसे कार्यक्रम में शामिल होने पर हर व्यक्ति स्वयं गौरवान्वित होगा, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति में हार्दिक इच्छा होती है कि वह भी संगीत प्रशिक्षण प्राप्त करे।”*

हमर छत्तीसगढ़ न्यूज नारायण राठौर

 

सक्ती छत्तीसगढ़ – श्याम संगीत सृजन संस्थान सक्ती द्वारा संचालित श्रीश्याम संगीत प्रशिक्षण केन्द्र रायपुर के केन्द्र प्रभारी डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’ द्वारा संस्था के एक प्रवक्ता के रूप में बताया गया कि श्याम संगीत सृजन संस्थान की स्थापना के 25 वें वर्ष को इस वर्ष “रजत जयंती” वर्ष के रूप में साहित्यिक व सांस्कृतिक विषय पर आनलाइन कार्यक्रम के साथ उत्साह पूर्वक मनाया जा रहा है।

डॉ. रमा ने आगे बताया कि संस्थान द्वारा भारतीय कला संस्कृति के संरक्षण- संवर्धन एवं सांस्कृतिक विकास के साथ ही साथ लोक-कला संस्कृति व लोक-परम्परा के प्रचार-प्रसार व विस्तार हेतु “विश्व संगीत पाठशाला” का संचालन करते हुए विभिन्न राज्यों के सम्पूर्ण नशामुक्त व शुद्ध शाकाहारी भारतीय शिक्षित महिलाओं को 15 अगस्त से 15 नवंबर 2024 तक त्रैमासिक निःशुल्क संगीत प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि संस्थान के संचालक अध्यक्ष संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा भारतीय शास्त्रीय संगीत गायन की बारिकियों को सरल विधि से समझा-समझा कर सिखाया जा रहा है, जिसमें शामिल प्रशिक्षार्थी काफी उत्साह के साथ संगीत का अभ्यास कर रहे हैं।
इस अवसर पर संगीत प्रशिक्षार्थियों के उत्साहवर्धन व मार्गदर्शन के लिए देश के प्रबुद्ध साहित्यकारों एवं सांस्कृतिक प्रेमी रचनाकारों को “आज के खास मेहमान” के रूप में आमंत्रित कर प्रशिक्षण कार्यक्रम में सृजनात्मक ढंग से उत्साहवर्धन किया जा रहा है।

इसी क्रम में 06 अक्टूबर को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध सुन्दरवती महिला महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर सुप्रसिद्ध रामायण एवं भागवत प्रवाचिका डॉक्टर आशा तिवारी “ओझा” जी को आमंत्रित किया गया था।
कार्यक्रम में डॉक्टर आशा तिवारी “ओझा” ने कहा इस सृजन संस्थान द्वारा संचालित एक गुरुकुल जैसे गुरु-शिष्य परम्परा के अनुसार यहां संगीतज्ञ- श्री श्याम कुमार चन्द्रा गुरुजी के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होकर प्रत्येक व्यक्ति अपने आप को गौरवान्वित महसूस इसलिए करेगा, क्योंकि यहां “साहित्य के साथ सांगीतिकता” विषय पर संगीत के बारिकियों को वह भी निःशुल्क सिखाया जा रहा है ऐसा अवसर हर किसी व्यक्ति को प्राप्त नहीं हो पाता, हर किसी के भाग्य में संभव नहीं हो पाता, आप सभी लोग बहुत बड़े भाग्यशाली हैं, इसीलिए आप सभी लोगों को संगीत सिखने को मिल रहा है, संगीत का प्रभाव तो प्रत्येक मनुष्य के जीवन में जन्म से लेकर मृत्यु- पर्यन्त तक सोलहों संस्कार में समाया हुआ है।

यह प्राचीन पद्धति अनुसार भी जैसे माता के गर्भ में शिशु का संचार होने के साथ ही पुन्सवन संस्कार से ही संगीत कार्यक्रम का शुभारंभ हो जाता है फिर यह क्रम आगे जन्म पर नामकरण संस्कार, मुण्डन संस्कार, शष्ठी संस्कार, अन्न-प्रासन संस्कार, कर्णभेदन- संस्कार, विद्यारंभ संस्कार, जनेऊ धारण संस्कार, विवाह संस्कार, गृह-प्रवेश संस्कार एवं अंत्येष्टी संस्कार तक सभी संस्कारों में संगीत कार्यक्रम अतिआवश्यक मानकर आयोजित किए जाते हैं, इसलिए संगीत का बड़ा महत्व है। संगीत का महत्व मनुष्य से लेकर पशु-पक्षी आदि सभी प्राणियों में व्याप्त है यहां तक कि आज के वैज्ञानिक परीक्षण के अनुसार तो वनस्पतियों पेड़ पौधे और फसलों में भी संगीत का प्रभाव पड़ता है, इसलिए संगीत सृजन अति आवश्यक है, उन्होंने विश्व संगीत पाठशाला के संचालक संगीतज्ञ- श्री श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा चलाए जा रहे निःशुल्क संगीत प्रशिक्षण कार्य की भूरि-भूरि प्रसंशा की और संगीत पाठशाला में शामिल समस्त प्रशिक्षार्थियों को नाम ले-ले कर आशीर्वचन, प्रोत्साहन एवं शुभकामनाएं दी।
उन्होंने “साहित्य में सांगीतात्मकता” विषय पर व्याख्यान के माध्यम से विस्तारपूर्वक बताया कि आदिकाल व भक्तिकाल से लेकर आधुनिक काल तक के सभी भक्तों व संतों के भक्ति में संगीत का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।पहले साहित्यिक से ज्यादा संगीतात्मक लय-प्रधान पद्यात्मक भक्तिमय गीत संगीत का महत्व रहा है वह अब गद्यातमक कार्य के रूप में ज्यादा दिख रहा है।

तत्पश्चात् संचालक संगीतज्ञ- श्री श्याम कुमार चन्द्रा ने डॉ. आशा तिवारी “ओझा” जी को धन्यवाद के साथ हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा आप अपने बहुमूल्य व्यस्तता से भी समय निकालकर हमें व हमारे संगीत प्रशिक्षार्थियों को आशीर्वचन, प्रोत्साहन व मार्गदर्शन प्रदान किया है यह हमारे इस संस्थान के लिए सदैव स्मरणीय रहेगा।

तत्पश्चात् संगीत गुरुजी श्री श्याम कुमार चन्द्रा जी ने संगीतातमक महत्व के बारे में बताया कि गीत संगीत एक ऐसी सुन्दर कला है, जो मानव मात्र को, प्रभु प्यार में लवलीन कर देती है, जिससे उदास निराश मन भी खुशियों में झूमने नाचने लगता है। गीत के मधुर बोल संगीत के सुरीले साज- आवाज आत्मा को इस देह और देह की दुनियाॅ॑ से परे, उड़ती कला में उड़ाकर अशारीरीपन की अनुभूति करने में मदद करते हैं। इस माध्यम से भटकता हुआ मन भी अपनी मंजिल को सहज ही प्राप्त कर लेता है। संगीत का ज्ञान प्रत्येक मनुष्य के लिए अत्यंत आवश्यक। विज्ञान तो केवल हमारी ज्ञानात्मक वृत्तियों को को ही सजग करता है, पर संगीत-कला हमारी ज्ञानात्मक- वृत्तियों के अतिरिक्त हमारी रागातमक शक्तियों को भी सशक्त बनाती है। इसलिए संगीत के महत्व को समझते हुए इसकी साधना मन लगाकर करनी चाहिए, किन्तु आज का वातावरण इस साधना की जानकारी के अभाव में उथले व बेसुरे ढंग से गाने- बजाने से कोलाहलपूर्ण हो गया है, आज डीजे आदि वाद्ययन्त्रों से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्य तनावग्रस्त होते जा रहा है, ऐसी स्थिति से बचना चाहिए और शासन प्रशासन द्वारा भी इसे रोका जाना चाहिए।

इस अवसर पर संगीत पाठशाला में शामिल समस्त प्रशिक्षार्थियों द्वारा अपने अपने परिचयात्मक प्रस्तुति के साथ आज के खास मेहमान डॉक्टर आशा तिवारी “ओझा” जी को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

कार्यक्रम का सफल संचालन संगीतज्ञ- गुरुजी द्वारा किया गया, उन्होंने बताया कि “आज के खास मेहमान” के रूप में आज 07 अक्टूबर को नोएडा दिल्ली से प्रोफेसर डॉक्टर भावना शुक्ल जी को साहित्य और कला संस्कृति के बारे में प्रशिक्षार्थियों को मार्गदर्शन, उत्साहवर्धन एवं आशीर्वचन प्रदान किए जाने हेतु सादर आमंत्रित किया गया है।

इस सत्र में सर्वप्रथम रायपुर छत्तीसगढ़ से डॉक्टर मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’ द्वारा अतिथि स्वागत में कुछ साहित्यिक दोहे पाठ से स्वागत अभिनंदन किया गया और कार्यक्रम के समापन अवसर पर जयपुर राजस्थान से डॉक्टर रेखा गुप्ता द्वारा खास मेहमान जी का आभार व्यक्त कर अध्यक्ष की अनुमति से कार्यक्रम का समापन किया गया।

 

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