*संगीत के महत्व पर आधारित पुस्तक ” सुर लय ताल ” के लिए रचनाएँ आमंत्रित*

*संगीत के महत्व पर आधारित पुस्तक ” सुर लय ताल ” के लिए रचनाएँ आमंत्रित*
श्याम संगीत सृजन संस्थान सक्ती छत्तीसगढ़ के संस्थापक व अध्यक्ष संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा सम्पादित “सुर लय ताल” अर्थात् सिर्फ संगीत के महत्व विषय पर ही पुस्तक का प्रकाशन “निकष प्रकाशन न्यू विलेज उस्मानपुर पूर्वी दिल्ली “दिल्ली” से प्रकाशित होने वाले पुस्तक लेखन में शामिल प्रत्येक रचनाकारों के लिए नीचे लिखे अनुसार अलग-अलग विषय पर अनुमति पत्र व संक्षिप्त परिचय के साथ एक पासपोर्ट साइज नवीन फोटो सहित सिर्फ एक-एक रचना आमंत्रित है।
*!! सुर लय ताल !!*
उपरोक्तानुसार पुस्तक में शामिल होने वाले आमंत्रित रचनाकारों के लिएं विषय सूची इस प्रकार है।
साहित्य संगीत कला विहीन: साक्षात् पशु: पुच्छ हीन, संगीत की सामान्य परिभाषा, सप्तक का साधारण ज्ञान, स्वर अलंकार के अभ्यास से लाभ, दस थाटों का सहज ज्ञान, बाईस श्रुतियां में दैवीय शक्तियां, गीत की परिभाषा और उसके प्रकार, ध्रुपद गीत का परिचय, धमार गीत का परिचय, ख्याल (विलम्बित ख्याल और द्रुत ख्याल), ठुमरी और टप्पा का परिचय, लक्षण गीत और तराना का परिचय, चतुरंग त्रिवट और स्वर मालिका होली भजन-कीर्तन और गीत।
विभिन्न घराना का परिचय, प्रयाग संगीत समिति प्रयागराज के पाठ्यक्रम में शामिल प्रसिद्ध संगीतज्ञों की जीवनियां जैसे- श्री विष्णु नारायण भातखण्डे, श्री विष्णु दिगम्बर पलुस्कर,स्वामी हरिदास, तानसेन, अमीर खुसरो, शारंगदेव, गोपाल नायक, ओंकार नाथ ठाकुर, अब्दुल करीम खां, राजा मानसिंह तोमर, श्रीनिवास, रामामात्य, हृदय नारायण देव, मुहम्मद रजा, भारत रत्न पंडित रविशंकर शुक्ल एवं संगीत शिरोमणि ठाकुर वेदमणि सिंह आदि।
संगीत का संक्षिप्त इतिहास- प्राचीन काल, मध्य काल एवं आधुनिक काल, शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत, संगीत सम्मेलन और उसकी उपयोगिता, संगीत में ताल का महत्व और संगीत समारोह का वर्णन।
गायकी एवं गायन के घराने जैसे – ग्वालियर घराना, आगरा घराना, दिल्ली घराना, जयपुर घराना, पटियाला घराना, किराना घराना एवं गायकों के गुण- अवगुण।
नाद ब्रह्म की साधना, सृष्टि की उत्पत्ति विद्युत से हुई या नाद से, नाद ब्रह्म ‘ओउम्’ शब्द की प्रचण्ड शक्ति, नादयोग के ध्वनि संकेत, नाद साधना का क्रमिक अभ्यास, संगीत को जीवन में स्थान दीजिए, संगीत से “अक्षर” की अनुभूति, संगीत एक महाशक्ति, संगीत शब्द ब्रह्म की स्वर साधना, संगीत विश्व का प्राण है।
जीवन शक्ति का अजस्र स्रोत संगीत, संगीत अर्थात् नाद ब्रह्म की शक्ति एवं उत्पत्ति, संगीत और आत्मोत्कर्ष, संगीत द्वारा संवेदना उपचार, संगीत और अध्यात्मिकता का संबंध, संगीत से सरसता की अभिवृद्धि, संगीत सृष्टि का भाव भरा उल्लास, राग रागिनी संगीत की सामर्थ, संगीत का विज्ञान क्षेत्र में उपयोग, संगीत की जीवनदात्री सामर्थ, संगीत उपचार की संभावनाएं, संगीत का प्रबल प्रभाव, संगीत स्वास्थ्य का मनोरंजक श्रेष्ठ साधन, मन को आनदोलित करती हैं रागिनियां, संगीत की सृजन सामर्थ एवं उसका उपयोग, जीवन में संगीत का महत्व, संगीत शिक्षा (एक महान उपकार)।
संगीत सीखने व सीखाने से लाभ, संगीत बीना जीवन का भाव, संगीत का प्राणियों और वनस्पतियों पर प्रभाव, नादयोग एवं संगीत की प्रभावोत्पादक सामर्थ्य, स्वर साधना, जनजागरण का भी माध्यम, संगीत की भावधारा से जन चेतना जुड़ें, संगीत का जनजागरण में योगदान, संगीत विधा का सदुपयोग होना चाहिए, संगीत को शालीनता की दिशा मिले, संगीत की दुरुपयोग की निन्दा भर्त्सना, शब्द शक्ति के दुरुपयोग का दुष्परिणाम, शब्द ब्रह्म की साधना और उसका प्रशिक्षण, आत्मबोध का प्रथम सोपान – “सो$हं साधना”, संत कबीर की ‘सो$हम’ साधना, ‘सो$हम’ साधना का विधि-विधान, शब्द ब्रह्म की सिद्धि, वाक् शक्ति एवं मंत्रसिद्धि, वाक् शक्ति एक दैवी सम्पदा, शब्द शक्ति से होगी, अब विभिन्न रोगों की चिकित्सा।