*प्रतिबंधित लाल ईट का काला कारोबार जोरों पर, शासन प्रशासन की मौन सहमति सवालों के घेरे में*

*प्रतिबंधित लाल ईट का काला कारोबार जोरों पर, शासन प्रशासन की मौन सहमति सवालों के घेरे में*
जांजगीर चांपा जिला के ब्लॉक बम्हनिंडीह कनकपुर क्षेत्र में प्रतिबंधित लाल ईंट भट्टों का कारोबार लगातार बढ़ते जा रहा है। शासन प्रशासन की अनदेखी के कारण इन ईंट भट्ठा संचालकों के हौसले बुलंद हैं तथा वे प्रतिबंधित लाल ईंटों का उत्पादन खुलेआम कर रहे हैं। जिले के बम्हनिंडीह तहसील के अन्तर्गत ग्राम कनकपुर में लगभग 20 अवैध लाल ईटभट्टे संचालित है।
बम्हनिंडीह तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत पौड़ी शंकर के आश्रित गांव कनकपुर एवं उसके आसपास के गांव में अवैध रूप से ईंट भट्ठों का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है सबसे ज्यादा अवैध लाल ईट का निर्माण कनकपुर मे किया जाता है जिसकी जानकारी अधिकारियों को भी है लेकिन जानकारी होने के बावजूद विभागीय अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।आपको बता दें कि बम्हनिंडीह क्षेत्र के अनेको गाँव में न केवल ईट भट्टो का अवैध कारोबार होता है बल्कि यहां पर मिट्टी और रेत का भी उत्खनन जोरों से होते आ रहा है। इस मामले में ध्यान नहीं देने का आखिरकार क्या कारण हो सकता है क्या अधिकारियों के आंखों पर रिश्वत का काला पट्टा चढ़ चुका है या अधिकारियों सुस्त हैं गर्मी सामने है और पानी के लिए लोगों को काफी परेशानी होती है नदी-नाले में जलस्तर गिर रहा है, ऐसी स्थिति में ईट भट्ठा संचालक बोर से पानी लेकर लाखों की तादात में ईंट का निर्माण कर रहे हैं, जिसके प्रति विभाग के अधिकारी भी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। वहीं ईंट भट्ठा मजदूरों का अब तक ठेकेदार के द्वारा कोई पंजीयन नहीं कराया गया है, जबकि मजदूरों का पंजीयन कराना अनिवार्य होता है। ठेकेदार सारे नियम कायदे को ताक पर रखकर मजदूरों से ईट भट्ठा में ईट का निर्माण करा रहे है। इसके बावजूद अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। प्रत्येक दो हजार ईटों को दस हजार रूपये में बेची जा रही है। हर साल करोड़ों का कारोबार होता है। वह भी बिना जीएसटी बिल के जिसके चलते केंद्र और राज्य सरकार को राजस्व की भारी क्षति हो रही है। ईंट संचालकों द्वारा बड़े पैमाने पर ईंट का निर्माण करने के लिए शासकीय और निजी जमीन का खनन किया जा रहा है। इससे पर्यावरण प्रभावित हो रहा है।क्षेत्र में गिर रहा लगातार जल स्तर गर्मी के मौसम में पीने के पानी की बड़ी समस्या होती है। तालाबों और सरकारी नल-जल के बोर का जलस्तर जवाब देने लग जाता है। ऐसी स्थिति में ईंट भट्टा संचालक बोर और तालाबों से पानी लेकर लाखों की तादात में ईंट का निर्माण कर रहे हैं, जिसके प्रति विभाग के अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे है वही ईंट भट्ठा मजदूरों का अब तक ठेकेदार के द्वारा कोई पंजीयन नहीं कराया गया है, जबकि मजदूरों का पंजीयन कराना अनिवार्य होता है। ठेकेदार सारे नियम कायदे कानून को ताक पर रखकर मजदूरों से ईंट भट्ठा में ईंट का निर्माण करा रहा है। इस मामले को लेकर पत्रकारों के द्वारा ईट भट्ठा वालों से सवाल पूछा गया तो ईटा भट्ठा वाले पत्रकारों से अभद्र व्यवहार करते हुए बोलते हैं कि हमें किसी अधिकारी कर्मचारी का डर नहीं है तुम लोगों को जहां भी शिकायत करना है कर दो हमें बड़ी मात्रा में राजनीतिक सपोर्ट मिला हुआ है चाहे हम कुछ भी करें हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता ऐसा कहा जाता है इस संबंध में खनिज अधिकारी से संपर्क किया गया तो उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया वही बम्हनिंडीह तहसीलदार जायसवाल साहब ने कहा कि आप उच्च स्तर पर शिकायत करते हुए हमें भी कॉपी दे दीजिए जैसा भी होगा निष्पक्ष कार्रवाई करेंगे अब देखना यह होगा कि खबर प्रकाशन के बाद स्थानीय शासन प्रशासन नींद से जगाती है कि वही अपने पुराने ऑडियल रवैया पे जमी रहती है की कोई विशेष कदम उठाती है।