*भारतीय शास्त्रीय संगीत से संबंधित “सुर लय ताल” पुस्तक के मुख्य सम्पादक संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा संचालित विश्व संगीत पाठशाला सक्ती छत्तीसगढ़ में शामिल संगीत गुरूजी की प्रिय शिष्या श्रीमती शुभा शुक्ला ‘निशा’ रायपुर द्वारा प्रेषित रचना प्राप्त हुई है*

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*भारतीय शास्त्रीय संगीत से संबंधित “सुर लय ताल” पुस्तक के मुख्य सम्पादक संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा संचालित विश्व संगीत पाठशाला सक्ती छत्तीसगढ़ में शामिल संगीत गुरूजी की प्रिय शिष्या श्रीमती शुभा शुक्ला ‘निशा’ रायपुर द्वारा प्रेषित रचना प्राप्त हुई है*

*”भारतीय शास्त्रीय संगीत गायन में श्रुतियों से संदर्भित रचना नीचे लिखे अनुसार “सुर लय ताल” पुस्तक में शामिल हेतु छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से संगीत साधिका, प्रसिद्ध कवयित्री एवं सृजनात्मक लेखिका श्रीमती शुभा शुक्ला ‘निशा’ द्वारा प्रेषित रचना अवश्य पढ़ें।*

*!! श्रुति महिमा-गान !!*- (दोहे)

श्रुतियां स्वर के बीच में, अंतर है पहचान।
श्रुति का भेद कठीन है, स्वर है सरल विधान।।

बाईस श्रुतियां मान हैं, सुर हैं सात सुहान।
सारे गमपध और नी, सप्त सुरों का गान।।

ऐसा भी गुणि जन कहें, श्रुति की शक्ति महान।
श्रुति में बैठीं शक्तियां, सुर लय ताल सुजान।।

बाईस श्रुति समूह में, बारह स्वर है मीन।
मध्य मन्द्र और तार हैं, होते सप्तक तीन।।

सप्त सुरों को बोलकर, नित्य करें अभ्यास।
आरोही अवरोह से, स्वर में आए न्यास।।

वीणा पाणी ध्यान से, बोलें क्रम अनुसार।
“सुर लय ताल” सृजन करें, ‘शुभा निशा’ श्रृंगार।।

अनुपम हो जब साधना, कंठ सजे अलंकार।।
सप्तक के दस थाट का, गायन बारम्बार।।

श्रुति सबकी बानी बने, सेवा बने उदार।
गायन वादन साधना, जीवन जय-जय कार।।

जग प्रसिद्ध संगीत हो, मां वाणी वरदान।
श्रुति की बाणी सब कहें, माने संत सुजान।।

श्रुति स्वतंत्र सब में वसी, गीता वेद पुराण।
शास्त्रीय संगीत में, श्रुति की महिमा ज्ञान।।

श्रुति से भारी नाद है, ब्रह्म-नाद ओंकार।
आंदोलन जग में करे, होय सृष्टि विस्तार।।

श्रुति उपलब्धि साधना, सबमें हो यह ज्ञान।
सर्वे भवन्तु सुखिन: हो, भाव बसे सद्ज्ञान।।

श्रुति साधन से रागिनी, राग छत्तीसों गाय।
भारतीय संगीत में, श्रुति का बड़ा सहाय।।

*प्रसिद्ध रचइता :–*
*श्रीमती शुभा शुक्ला ‘निशा’*
सुन्दर नगर, रायपुर छत्तीसगढ़

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