*सुर लय ताल” विषय पर पुस्तक में शामिल किए जाने, रचना- वर्षा गुप्ता

*सुर लय ताल” विषय पर पुस्तक में शामिल किए जाने, रचना- वर्षा गुप्ता

*भारतीय कला संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन एवं सांस्कृतिक विकास कार्य हेतु स्थापित श्याम संगीत सृजन संस्थान सक्ती द्वारा संचालित विश्व संगीत पाठशाला सक्ती में शामिल छत्तीसगढ़ रायपुर से संगीत साधिका श्रीमती वर्षा गुप्ता द्वारा प्रेषित शास्त्रीय संगीत से संबंधित एक गीत संगीतज्ञ श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा सम्पादित भारतीय शास्त्रीय संगीत से संबंधित “सुर लय ताल” विषय पर पुस्तक में शामिल किए जाने हेतु प्राप्त हुई है, रचना के बोल इस प्रकार से हैं :–*

*शास्त्रीय संगीत महिमा गान*
(राग दरबारी कान्हड़ा, ताल कहरवा)

सप्त सुरों के मधुर ध्वनि से, शास्त्रीय ताल सुहाता है।
राग-रागिनी मनको भाए, मन पावन हो जाता है।।

डमरूधर भोलेबाबा ने, चौदह तांडव नृत्य किया।
ब्रह्म-नाद डमरू वादन ने, संस्कृत भाषा जन्म दिया।।
मां वाणी की वीणा कच्छपी, सुर श्रृंगारिक सृजन किया।
बंशीधर की बजी बांसुरी, महा-नंदा मन मोह लिया।।
नारायण-नारायण मनको, नारद वचन सुहाता है।
राग-रागिनी मन को भाए, मन पावन हो जाता है।।
सप्त सुरों के मधुर ध्वनि से…..

मीरा की इकतारा बोले, जैजै गिरधर हे गोपाल।
मथुरा वृन्दावन में छाए, मोहन प्यारे नन्द लाल।।
श्रीकृष्णा बंशीधर मोहन, बंशी धुन गुनजाए हैं।
वृन्दावन की कुंज गली में, लौकिक रास रचाए हैं।।
जन्मभूमि मथुरा जग पावन, गोकुल धाम सुहाता है।
राग रागिनी मन को भाए, मन पावन हो जाता है।।
सप्त सुरों के मधुर ध्वनि से…..

भारतीयता कला संस्कृति, का सम्मान बढ़ाएंगे।
पाश्चात्य संस्कृति सभ्यता, मन से सदा मिटाएंगे।।
मां वाणी की पावनता में, नित-नित शीश झुकाएंगे।
‘श्याम सृजन’ यश गौरव गाथा, सारे जग फैलाएंगे।।
भारत माता के चरणों में, जो भी शीश झुकाता है।
राग रागिनी मन को भाए, मन पावन हो जाता है।।
सप्त सुरों के मधुर ध्वनि से…..

*रचनाकार :–*
*श्रीमती वर्षा गुप्ता*
रायपुर छत्तीसगढ़