*सुर लय ताल” पुस्तक में शामिल कराने हेतु “नाद ब्रह्म” शीर्षक पर दोहे छंद में लिखकर डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’ की रचनाएं*

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*सुर लय ताल” पुस्तक में शामिल कराने हेतु “नाद ब्रह्म” शीर्षक पर दोहे छंद में लिखकर डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’ की रचनाएं*

 

*भारतीय कला संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन एवं सांस्कृतिक विकास कार्य हेतु स्थापित श्याम संगीत सृजन संस्थान सक्ती द्वारा संचालित “विश्व संगीत पाठशाला” में शामिल संगीतज्ञ श्याम कुमार चन्द्रा गुरूजी की प्रिय शिष्या संगीत साधिका व सृजनात्मक लेखिका डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’ मैट्स युनिवर्सिटी रायपुर द्वारा प्रेषित संगीतज्ञ श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा सम्पादित “सुर लय ताल” पुस्तक में शामिल कराने हेतु “नाद ब्रह्म” शीर्षक पर दोहे छंद में लिखित स्वरचित दस दोहे की एक रचना प्राप्त हुई है, वह इस प्रकार है।*

*!! ब्रह्म नाद!!*

नाद मुखर उद्गार है, गायन का आधार।
सदा संगीत लय सजा, ध्वनित करे विस्तार।।

कहते सब हैं मधुर ध्वनि, प्राण संगीत नाद।
जीवन को सुरभित करे, हृदय भरे अह्लाद।।

आहत ध्वनि को जानिए, होता नाद प्रकार।
घर्षण से उत्पन्न हो, करता ध्वनि संचार।।

नाद अनाहत का सदा, योगी करे प्रयोग।
मधुर स्वरों के गूँज से, मिटे मानसिक रोग।।

वीणा सितार वाद्य से, सुरभित है स्वर गीत।
नाद संगीत नींव है, सुर साधक का मीत।।

इसकी महती जानकर, साधक बनते लोग।
जीवन में संगीत का, करते श्रेष्ठ प्रयोग।।

ऊँचा नीचा नाद का, होता अलग स्वभाव।
स्वर के धारा बन बहे, इसका दिव्य प्रभाव।।

नाद संगीत के लिए, है आवश्यक जान।
इससे ही नित राग सज, बनते स्वर पहचान।।

नाद ब्रम्ह सम जानकर, ऋषि करते स्वीकार।
सभी दिशा संचार सम, आध्यात्मिक आधार।।

ढाले ध्वनि आकार को, ओम शब्द संसार।
कहे ‘रमा’ ये सर्वदा, ब्रम्ह नाद जग सार।।

*रचना:–*
*डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’*
रायपुर (छत्तीसगढ़)

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