*”सुर लय ताल” पुस्तक में शामिल किए जाने हेतु संगीत विषय पर रचनात्मक- लेखक उग्रसेन पटेल*

*”सुर लय ताल” पुस्तक में शामिल किए जाने हेतु संगीत विषय पर रचनात्मक- लेखक उग्रसेन पटेल*
*भारतीय कला संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन एवं सांस्कृतिक विकास कार्य हेतु स्थापित “श्याम संगीत सृजन संस्थान” सक्ती द्वारा सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ प्रदेश के समस्त विकासखंडों में किए जा रहे “श्रीश्याम संगीत सृजन केन्द्रों में सर्वप्रथम स्थापित “सौरभ श्याम संगीत सृजन केन्द्र” बोईरदादर रायगढ़ के केन्द्र अधीक्षक – श्री उग्रसेन पटेल जी द्वारा प्रेषित संगीतज्ञ श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा सम्पादित “सुर लय ताल” पुस्तक में शामिल किए जाने हेतु संगीत विषय पर “राग और रोग” शीर्षक पर एक गद्य लेखन प्राप्त हुई है, वह इस प्रकार है….*
*”राग और रोग”*
*संगीत है शक्ति ईश्वर की, हर सुर में बसे हैं राम।*
*रागी जो सुनाये राग, रोगी को मिले आराम।।*
अर्थात् संगीत जगत में राग शब्द एक औषधीय घटक है, यदि किसी रोगी को राग गायन-वादन के माध्यम से सुनाई जाए तो वह आराम की अनुभूति करता है।
*संगीत* मानव के पीड़ित हृदय को संतुष्टि एवं शांति तो प्रदान करता ही है साथ ही जीवन में हर्षोल्लास भरकर आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देता है, राग-रागिनी के द्वारा रोगों की चिकित्सा पुरातन काल से ही किया जाता रहा है। संगीत चिकित्सा एक मनोचिकित्सात्मक प्रक्रिया है, जहां एक योग्य संगीत चिकित्सक संगीत को संचार और अभिव्यक्ति के साधन के रुप में उपयोग करते हुए रोगी के कुछ निश्चित स्वास्थ्य आवश्यकताओं या कल्याण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए काम करता है वहीं संगीत चिकित्सा में संगीत के विभिन्न तत्वों जैसे “सुर लय और ताल” के घटकों का उपयोग करता है ताकि चिकित्सकीय संबंध बनाने का एक साधन उपलब्ध कराया जा सके।
*संगीत चिकित्सा* आमतौर पर एक सक्रिय प्रक्रिया है जहां संगीतज्ञ चिकित्सक संगीत धुन बनाते हैं और इसमें नाद का उपयोग करके विभिन्न प्रकार के सुलभ वाद्ययंत्र सम्मिलित किया जाता है, तो मरीज के ऊपर उसका शीघ्र असर पड़ता है और उसे आराम पहुंचाने में मदद करता है।
*संगीत* हमारे मानसिक तनाव को दूर करने में सहायक सिद्ध होता है और प्रतिकूल प्रभाव को बदलने, दर्द की अनुभूति को कम करने, अभिव्यक्ति को बढ़ाने, प्रेरणा प्राप्त करने, नींद को आसान बनाने जैसे स्वास्थ्य लाभ के विभिन्न सृजनात्मक अनुकूलता प्रदान करते हैं।
संगीत के विशेष राग मानवीय मानसिक रोगों में वैज्ञानिक अनुसंधानों से संगीत चिकित्सा के अंतर्गत निम्नलिखित रागों के बतौर उदाहरण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने संबंधी यह उल्लेख किया गया है कि :–
*राग दरबारी*:–
*लाभ* – तनाव और चिंता कम करता है। नींद में सुधार लाता है। हृदय गति और रक्त-चाप को नियंत्रित करता है और एकाग्रता को बढ़ाता है।
*वैज्ञानिक कारण* – इसकी गहरी ध्वनियां कोर्टिसोल स्तर को कम करती है और मस्तिष्क की अल्फा तरंगों को बढ़ा देती है।
*राग भैरव*:-
*लाभ* – सिर दर्द और माइग्रेन में राहत पहुंचाता है, तनाव कम करना है, एकाग्रता और हृदय के स्वास्थ्य में सुधार लाता है।
*वैज्ञानिक कारण*- शांत लय लिम्बिक सिस्टम को प्रभावित करती है। मस्तिष्क की प्री फ्रंटल काॅर्टेक्स सक्रियता से स्मृति और ध्यान को बढ़ाता है।
*राग मालकौंस*:-
*लाभ*- अस्थमा और श्वसन समस्याओं में राहत, नींद में सुधार और हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
*वैज्ञानिक कारण*- गहरी ध्वनियां श्वसन तंत्र को शांत करने और अल्फा तरंगों को बढ़ाती हैं।
*राग तोड़ी*:-
*लाभ*- उक्त रक्त चाप नियंत्रण, ऊर्जा बढ़ाना और मानसिक ताजगी में लाभकारी है।
*वैज्ञानिक कारण*- इसके तीव्र स्वर और उत्साहवर्धक लय हृदय गति को संतुलित कर डोपामाइन स्त्राव को बढ़ाती है।
*राग शिवरंजनी*:-
*लाभ*- स्मृति हानि में सुधार, मानसिक शांति और चिंता कम करने में लाभकारी है।
*वैज्ञानिक कारण*- इसकी मधुर ध्वनि मनुष्य की न्यूराॅन्स को सक्रिय करती है और सेरोटोनिन स्तर को बढ़ाती है।
*राग जयजयवंती*:-
*लाभ*- शारीरिक कमजोरी दूर करना, उत्साहवर्धक और तनाव को नियंत्रण करने में लाभकारी है।
*वैज्ञानिक कारण*- यह लय मोटर क्षेत्रों को प्रभावित करती है जिससे शारीरिक ऊर्जा बढ़ाने और तनाव हार्मोन को नियंत्रित करती है।
*राग बिहाग*:-
*लाभ*- अवसाद में राहत, मानसिक स्थिरता और नींद में सुधार हेतु लाभकारी है।
*वैज्ञानिक कारण*- इसकी शांतिपूर्ण ध्वनि मस्तिष्क की अल्फा तरंगों को बढ़ाती है। अवसाद कम करने और नींद को प्रेरित करती है।
संगीत चिकित्सा की भी अपनी विशिष्टता तथा सीमाएं हैं। आज हमारे भारतवर्ष में संगीत चिकित्सा पद्धति कम प्रचलित होने के फलस्वरूप इस पर शोध कार्य भी कम किए जा रहे हैं, किन्तु यदि इस पर शोध कार्य और प्रयोग किए जाते रहे तो इससे छिपी हुई और विशेषताएं प्राप्त हो जाएंगी तथा राग-रागिनी के माध्यम से रोगों के निवारण हेतु दुष्परिणाम रहित मनपसंद सफल चिकित्सा पद्धति प्राप्त हो सकेंगी।
*लेखक:- श्री द्वारा सम्पादित “सुर लय ताल” पुस्तक में शामिल किए जाने हेतु संगीत विषय पर “राग और रोग”
*लेखक श्री उग्रसेन पटेल*
केन्द्र अधीक्षक- सौरभ श्याम संगीत
सृजन केन्द्र, बोईरदादर रायगढ़
छत्तीसगढ़ – 496001.