*सुर लय ताल” पुस्तक में शामिल किए जाने हेतु स्वयं एक आध्यात्मिक छत्तीसगढ़ी लोकगीत की रचना की*
*सुर लय ताल” पुस्तक में शामिल किए जाने हेतु स्वयं एक आध्यात्मिक छत्तीसगढ़ी लोकगीत की रचना की*
सक्ती/- भारतीय कला संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन एवं सांस्कृतिक विकास कार्य हेतु दिनांक 02 जुलाई सन् 2000 को स्थापित इस संस्थान के संस्थापक व अध्यक्ष संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा सम्पादित भारतीय शास्त्रीय संगीत से संबंधित “सुर लय ताल” पुस्तक में शामिल किए जाने हेतु स्वयं एक आध्यात्मिक छत्तीसगढ़ी लोकगीत की रचना की गई है, वह इस प्रकार है…*
*!!आध्यात्मिक छत्तीसगढ़ी भजन!!*
‘सुर लय ताल’ सजावौ संगी, अब हो जाही कल्यान।
ये जिनगी के निये ठिकाना, कब मिलही गा वरदान।।
“सुर लय ताल’ सजावौ संगी …
बड़े भाग जागिस ता हमन, ये मानुष तन ल पायेन।
ये काया ला पाके हमन, मयां म काबर भुलायेन।।
सतमारग ल छोड़के कइसे, हीरा काया गवांयेन।
ये जिनगी के मोल जानलौ, अब हो जाही कल्यान।।
“सुर लय ताल” सजावौ संगी …
गुन विचार के धरम करम ल, सुग्घर करनी ला करलौ।
जइसन करनी तइसन भरनी, येला तैं बने सुमरलौ।।
छोड़के तुमन चुगली चारी, अब सुग्घर संगति करलौ।
कोर कपट अब छोड़ लबारी, बेरा के करौ पहिचान।।
“सुर लय ताल” सजावौ संगी …
जुन्ना-जुन्ना पापी गठरी, बाढ़े हावय सब भारी।
सुग्घर बेरा आये हावै, करलेवौ बने चिन्हारी।।
मन के दीया बार लौ संगी, भाग जाही ये अंधियारी।
ये जिनगी के मुक्ति बनालौ, तुमन सुनौ गा सद्ज्ञान।।
“सुर लय ताल” सजालौ संगी, …
पुरखौती के लाज ल राखौ, अब जादा झन इतरावौ।
कला संस्कृति परंपरा के, अब मान ल बने बढ़ावौ।।
नवां पीढ़ी पढ़ा लिखा के, अब सुग्घर डहर चलावौ।
“श्याम चन्द्रा” के कहना हावय, अब मानव मोर मितान।।
“सुर लय ताल’ सजावौ संगी, …
*रचनाकार –*
संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा
रेलवे काॅलोनी सक्ती, छत्तीसगढ़
मोबाइल नंबर – 79994 51129.