*उत्तरमनय बद्रिकाश्रम ज्योतिष्पीठ उत्तराखंड के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के जीवन परिचय को संकलित कर एक संक्षिप्त जीवनी यशगीत*

*उत्तरमनय बद्रिकाश्रम ज्योतिष्पीठ उत्तराखंड के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के जीवन परिचय को संकलित कर एक संक्षिप्त जीवनी यशगीत*
भारतीय कला संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन एवं सांस्कृतिक विकास कार्य किए जाने हेतु दिनांक 02 जुलाई सन् 2000 को स्थापित श्याम संगीत सृजन संस्थान सक्ती छत्तीसगढ़ के संस्थापक व अध्यक्ष संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा संस्था स्थापना दिवस के रजत जयंती वर्ष के पावन अवसर पर शास्त्रीय संगीत से संबंधित मुख्य विषय “सुर लय ताल” नामक पुस्तक में शामिल किए जाने हेतु स्वयं श्री चन्द्रा जी द्वारा उत्तरमनय बद्रिकाश्रम ज्योतिष्पीठ उत्तराखंड के स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के जीवन परिचय को संकलित कर एक संक्षिप्त जीवनी यशगीत के रूप में रचना की गई है, वह इस प्रकार…
*स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महराज जी की*
(संक्षिप्त जीवनी यशगीत)
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के शिष्य सिरजन हार।
22 वर्ष तक धर्म साधना, गुरुदेव जी के दिव्य संस्कार।।
जगद्गुरु शंकराचार्य जी, गुरु की महिमा अपरम्पार।
श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी, हार्दिक वंदन बारम्बार।।
जन्म तिथि पन्द्रह अगस्त है, सन् उन्नीस सौ उन्हत्तर।
जन्म भूमि उत्तर प्रदेश में, जिला प्रतापगढ़ ब्राह्मणपुर।।
पिता पं. राम सुमेर पांडेय, ब्राह्मण कुल धार्मिक परिवार।
माता श्रीमति अनारा देवी, बालक पन के पालनहार।।
मूल नाम उमाशंकर उपाध्याय, धर्म कर्म उत्तम संस्कार।
प्राथमिक शिक्षा कक्षा छठवीं, ब्राह्मणपुरा विद्या संस्कार।।
उच्च शिक्षा जब पढ़े बनारस, छात्र राजनीति सक्रीय सार।
सन् उन्नीस सौ चौहत्तर में, छात्र राजनीति उम्मीदवार।।
सहपाठी सबके सहयोग से, मिली सफलता छात्र चुनाव।
गाय गंगा रक्षा की नारा, बड़ी योजना सार प्रभाव।।
ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम में, सेवा धर्म किया अभ्यास।
उत्तरमनय ज्योतिष्पीठ में, स्वामी स्वरूपानंद जी पास।।
बहुत दिनों तक सेवा साधना, गुरुदेव का सानिध्य मिला।
शिष्यों में संगठन बनाया, अधिकांशतः सहयोग मिला।।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, वृद्ध गुरुजी पड़े बीमार।
माह सितम्बर दो हजार बाईस, वृद्ध काल में स्वर्ग सिधार।।
स्वामी जी के जगह विराजे, आप के नाम का घोषणा सार।
ज्योतिष्पीठ की जिम्मेदारी, स्वामी जी घोषणानुसार।।
बिन सामंजस्य लगे अधूरा, मिलजुल साधें सभी विचार।
‘श्याम चन्द्र’ की हार्दिक सपना, धर्मकाज हो बनें जुगाड़।।
*रचनाकार -*
संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा
रेलवे काॅलोनी सक्ती, छत्तीसगढ़
संपर्क मो.नं.- 79994 51129.