*तुलसी दास जी महान लोकनायक और श्रीराम के महान् भक्त थे, इनके द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ सम्पूर्ण विश्व साहित्य के अद्भुत ग्रंथों में से एक है। यह एक अद्वितीय ग्रन्थ है, जिसमें भाषा, उद्देश्य कथावस्तु, संवाद एवं चरित्र-चित्रण का बड़ा ही मोहक चित्रण किया गया*

*तुलसी दास जी महान लोकनायक और श्रीराम के महान् भक्त थे, इनके द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ सम्पूर्ण विश्व साहित्य के अद्भुत ग्रंथों में से एक है। यह एक अद्वितीय ग्रन्थ है, जिसमें भाषा, उद्देश्य कथावस्तु, संवाद एवं चरित्र-चित्रण का बड़ा ही मोहक चित्रण किया गया*
*तुलसी दास जी अपने सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य ‘ रामचरितमानस की रचना की तथा मानव जीवन के सभी उच्चादर्शों का समावेश करके इन्होंने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम बना दिया।*
*आज 31 जुलाई को देश-विदेश में गोस्वामी तुलसी दास जी की जयंती मनाई जा रही है, इस अवसर पर आज श्याम संगीत सृजन संस्थान सक्ती छत्तीसगढ़ में भी आनलाइन तुलसी जयंती समारोह आयोजित किया जा रहा है, जिसमें संस्थान द्वारा संचालित विश्व संगीत पाठशाला में शामिल समस्त संगीत साधिका बहनों के साथ ही साथ अन्य मानस प्रेमी बहनों को भी आमंत्रित किया गया है, जिसमें गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित ग्रंथों से संबंधित रचनाएं एवं काव्यपाठ व गीत संगीत प्रस्तुत किए जायेंगे।*
*संस्थान के संस्थापक एवं अध्यक्ष संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा गोस्वामी तुलसीदास जी की जीवनी यशगीत लिखी गई है, वह इस प्रकार है…*
*गोस्वामी तुलसीदास जी*
जन्म 1511 – मृत्यु 1623
(संक्षिप्त जीवनी यशगीत हिन्दी में)
हे तुलसी बाबा जी तेरी, रचना जग में है न्यारी।
बही ज्ञान की धारा जिसमें, सबको लगती है प्यारी।।
पिताश्री आत्माराम दुबे जी, श्रीमती हुलसी माता जी।
जन्म संवत् पन्द्रह सौ चौवन, श्रावण शुक्ल मन भाता जी।।
मूल नक्षत्र में जन्म लिया, बिनु रोये बोले राम-राम।
मुख में दाॅ॑त बत्तीसों मौजूद, देख पिताजी हुए हैरान।।
अद्भुत बालक मातु-पिता की, मन में हुई शंका भारी।
पिता अमंगल की शंका से, माता को चिंता भारी।।
हे तुलसी बाबा जी तेरी …..
जन्म भूमि तो राजापुर है, किन्तु अनाथ भये बाबा।
मात-पिता ने त्याग दिया, तब दर-दर में भटके बाबा।।
जग जननी की दया हुई, विप्र रूप धरि करी सहाई।
शिव शंकर जी की प्रेरणा से, हर्यानन्द से विद्या पाई।।
राम शैल पर रहने वाले, अनन्ता नन्द जी की बलिहारी।
गुरु महिमा से राम बोला बन, गुरु दीक्षा पायी न्यारी।।
हे तुलसी बाबाजी तेरी …..
संवत् पन्द्रह सौ एकसठ में, यज्ञोपवीत संस्कार लिया।
गुरु वाणी गायत्री मंत्र का, बिना सिखाये पाठ किया।।
गुरु कृपा से रामबोला की, बुद्धि बड़ी प्रखर वाणी।
गुरु मुख से जो भी सुन-जावे, कर कण्ठस्थ गुरु वाणी।।
नरहरि जी दिए तुलसीदास को, रामचरित रूपी मणिहारी।
गुरु आज्ञा शिरोधारण करके, काशीपुरी की पग धारी।।
हे तुलसी बाबा जी तेरी …..
काशी शेष सनातन जी के, पास रहे वेद अध्धयन किया।
जन्म भूमि में वापस आकर, पिताश्री का श्राद्ध किया।।
संवत् त्रासी लोक वासना, रत्नावलि से ब्याह किया।
पत्नी की धिक्कार सुना तब, मोह- माया परित्याग किया।।
काशी कणिका अस्सी घाट में, राम कथा जग हितकारी।
बही ज्ञान की धारा जिसमें, सबको लगती है प्यारी।।
हे तुलसी बाबा जी तेरी …..
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(दूसरी रचना)
*गोस्वामी तुलसीदास जी*
(जीवनी यशगीत छत्तीसगढ़ी में)
जय हो बबा जी,
जय हो जय हो बबा जी।
जय हो तुलसीदास बबा जी, तुॅ॑हरे लिखे हावय सार।
राम कथा के महिमा भारी, गंगा जइसे हावय धार।।
पिताश्री आत्माराम दुबेजी, श्रीमती हुलसी देवी मांय।
जनम संवत् पन्द्रह सौ चउवन, सावन महिना साते भाय।।
जनम के बेरा मूल नछत्तर, राम कहय जी बीना रोय।
मुंहू मं दांत बत्तीसो देखत, महतारी ल बड़ दुख होय।।
ये कइसे अलकरहा लइका, महतारी ह करय गोहार।
हे भगवान तोर पइयां लागौं, सुनले तैंहर मोर जोहार।।
बाबा जी के जनम भूइयां, राजापुर रजवाड़ा गांव।
मइयां जी बाबा ल छोड़िन, चुनियां दासी कोरा ठांव।।
मां जग जननी भेष बदल के, रोजे खाना खवाये आंय।
भोले बाबा के किरपा ले, बाबा हरयानंद पठांय।।
राम शैल परबत के रहोइया, अनंतानंद जी देहें दुलार।
गुरु महिमा ले बने रामबोला, गुरु दीक्षा ले होय उबार।।
संवत् पन्द्रह सौ एकसठ मं, बबा जनेऊ संस्कार कराय।
गुरुबानी गायत्री मंत्र ले, सरलग पाठ करे सिखाय।।
गुरु किरपा ले रामबोला जी, बुद्धि के भारी हुंशियार।
गुरुजी मुंह ले सुनते सुनत, सुरता हो जाय एके बार।।
गुरु नरहरि जी तुलसी बबा ल, राम कथा कहे सार-सार।
गुरु आज्ञा ल पाके बबा जी, कांशी जाके करय उद्धार।।
कांशी शेष सनातन जी के, संग ल पाके होइस ज्ञान।
जनम भूइयां मं फिरके आथें, करथें पीतर शरधा दान।।
संवत् अस्सी लोक वासना, रत्नावलि संग बिहा होय।
मोह मं परके मयां मेटागे, अंतस मं भारी दुःख होय।।
कांशीपुरी मणिकणिका घाट के, राम कथा महिमा हे सार।
गोस्वामीजी के गीत चिंहारी, “लिखोइया हे श्याम कुमार”।।
जयहो तुलसीदास बबाजी, तुंहर लिखे हे महिमा सार।
राम कथा के महिमा भारी, गाथें कहिथें जग संसार।।
* रचनाकार -*
संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा
रेलवे काॅलोनी सक्ती, छत्तीसगढ़
संपर्क मो. नं.- 79994 51129.