बूथ के छोटे से कार्यकर्ता को जन्मदिन की बधाई देने का समय नहीं नेता जी को,बड़े नेताओं को घर जाकर बधाई

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बूथ के छोटे से कार्यकर्ता को जन्मदिन की बधाई देने का समय नहीं नेता जी को,बड़े नेताओं को घर जाकर बधाई

 

 

हमर छत्तीसगढ न्यूज रिपोर्टर की लेखनी से –

 

 

जांजगीर चांपा – कार्यकर्ता चाहे कोई भी पार्टी का हो अपने नेता अपने पार्टी के प्रत्याशी को जीताने के लिए अपनी सारी ऊर्जा खापा देता है, रात दिन मेहनत करता है ,घर-घर जाकर के अपनी पार्टी के रीति नीति को आम जनता को पहुंचाता, है बिना खाए पीए,कौन रात कौन दिन कौन धूप कौन छांव खून और पसीना एक कर देता है,विरोधी पार्टी के कार्यकर्ता से झगड़ जाता है कभी-कभी परिस्थितियों ऐसी भी बन जाती है कि उनको थाने तक पहुंचाना पड़ जाता है अनेकों प्रकार की यातनाएं झेलनी पड़ती है फिर भी वह अपने प्रत्याशी के प्रति सजग रहता है
लेकिन जब प्रत्याशी जीत जाता है तो उसको लगता है अपनी काबिलियत मेहनत से विजई हुआ,अमूमन अकसर ऐसा ही देखने सुनने को मिलता है उस बूथ के कार्यकर्ता के सुख दुख में जाना भूल जाता है यहां तक कि उसके जन्मदिन पर फोन से बात करना तो दूर मेसेज से बधाई देने का समय नहीं
और जब कोई बड़े नेता के घर मरनी हरनी ,दशगात्र जन्मदिन पर चाहे वह सात समंदर पार ही क्यों न हो उस नेता के घर छप्पन प्रकार की मिठाई ,कपड़ा,फूल माला ले कर पहुंचता है,फिर यही पर से उस बूथ के मेहनतकश कार्यकर्ता की नाराजगी चालू होती है जिस कारण उस नेता की लोकप्रियता घटती चली जाती है
अक्सर इन सब बातों पर सुनने में आया है भाजपा संगठन में चर्चा होती है,लेकिन नेता एक कान से सुनकर दूसरे कान से बाहर कर देता है एक छोटे से कार्यकर्ता की नाराजगी केवल उनको मान सम्मान नहीं मिलने से होती है

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