*छत्तीसगढ़ में ‘मंत्री’ को किया गया सस्पेंड, वजह जानकर चौंक जाएंगे*

*छत्तीसगढ़ में ‘मंत्री’ को किया गया सस्पेंड, वजह जानकर चौंक जाएंगे*
हमर छत्तीसगढ़ न्यूज नारायण राठौर
रायपुर/- छत्तीसगढ़ में इन दिनों नाम और काम का मेल न होना भी सुर्खियों में है। धमतरी जिले में ‘मंत्री’ को निलंबित कर दिया गया है लेकिन ठहरिए, ये कोई कैबिनेट मिनिस्टर नहीं, बल्कि शिक्षा विभाग के एक शिक्षक हैं, जिनका नाम ही ‘मंत्री गाडगे’ हैं। नाम भले ही मंत्री वाला हो, लेकिन कर्म ऐसे निकले कि सरकारी जमीन पर कब्जा कर बैठ गए! धमतरी ज़िले के शासकीय माध्यमिक शाला बालक मड़ेली में पदस्थ एल.बी. शिक्षक मंत्री गाडगे पर आरोप है कि उन्होंने ग्राम मडेली पब्वारी की शासकीय घास भूमि पर दो पक्की दुकानें और एक मकान तान दिया। मामले की शिकायत पर तहसीलदार ने निर्माण पर रोक लगाने का आदेश दिया, लेकिन मंत्री गाडगे ने आदेश को ठुकराते हुए निर्माण जारी रखा। जब जांच की बारी आई तो खुद गाडगे साहब ने न्यायालय में हाज़िर होकर कह दिया – “हाँ साहब, ये दुकान और मकान मेरा ही है!” इसके बाद शिक्षा विभाग ने भी अपना होमवर्क पूरा किया और रायपुर संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा राकेश कुमार पांडेय ने सख्त तेवर दिखाते हुए गाडगे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
*क्या है मामला?*
मामला ग्राम मडेली पब्वारी, हल्का नंबर 02, तहसील भखारा, जिला-धमतरी स्थित शासकीय घास भूमि खसरा नंबर 1219, रकबा 0.14 हेक्टेयर से जुड़ा है। इस जमीन पर लगभग 7×6.7 मीटर क्षेत्र में दो पक्की दुकानें और एक मकान अवैध रूप से निर्मित पाए गए। इस संबंध में तहसीलदार भखारा को शिकायत प्राप्त हुई थी कि नंदू राम पिता घासीराम द्वारा उक्त जमीन पर अवैधानिक निर्माण किया गया है। शिकायत की जांच के बाद तहसील न्यायालय द्वारा नंदू राम को निर्माण कार्य बंद करने का स्थगन आदेश जारी किया गया, लेकिन इसके बावजूद निर्माण कार्य नहीं रुका। आगे की सुनवाई में नंदू राम ने जवाब में बताया कि उक्त निर्माण कार्य उसके पुत्र मंत्री गाडगे द्वारा किया गया है। इसके बाद शिक्षक मंत्री गाडगे ने स्वयं न्यायालय में उपस्थित होकर यह स्वीकार किया कि उन्होंने ही शासकीय भूमि पर निर्माण कराया है।
न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई के बाद स्पष्ट आदेश जारी किया कि मंत्री गाडगे तीन दिन के भीतर अतिक्रमित भूमि खाली करें। लेकिन उन्होंने न सिर्फ आदेश की प्रति लेने से इनकार किया, बल्कि पालन करने से भी मना कर दिया। इस व्यवहार को शिक्षा विभाग ने स्वेच्छाचारिता और गंभीर अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना है। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-03 का उल्लंघन तथा छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम-9 (1) के तहत मंत्री गाडगे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा। साथ ही उनका मुख्यालय शासकीय हाईस्कूल, बांझापाली, विकासखंड सरायपाली, जिला महासमुंद निर्धारित किया गया है।