*”सुर लय ताल” नामक पुस्तक में शामिल किए जाने हेतु स्वयं श्री चन्द्रा जी द्वारा जगन्नाथ पूरी गोवर्धन पीठ के स्वामी शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी के जीवन परिचय को संकलित कर एक “संक्षिप्त जीवनी यशगीत” के रूप में रचना की*

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*”सुर लय ताल” नामक पुस्तक में शामिल किए जाने हेतु स्वयं श्री चन्द्रा जी द्वारा जगन्नाथ पूरी गोवर्धन पीठ के स्वामी शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी के जीवन परिचय को संकलित कर एक “संक्षिप्त जीवनी यशगीत” के रूप में रचना की*

हमर छत्तीसगढ़ न्यूज नारायण राठौर

सक्ती/- भारतीय कला संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन एवं सांस्कृतिक विकास कार्य किए जाने हेतु दिनांक 02 जुलाई सन् 2000 को स्थापित श्याम संगीत सृजन संस्थान सक्ती छत्तीसगढ़ के संस्थापक व अध्यक्ष संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा जी द्वारा संस्था स्थापना दिवस के रजत जयंती वर्ष के पावन अवसर पर “सुर लय ताल” नामक पुस्तक में शामिल किए जाने हेतु स्वयं श्री चन्द्रा जी द्वारा जगन्नाथ पूरी गोवर्धन पीठ के स्वामी शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती जी के जीवन परिचय को संकलित कर एक “संक्षिप्त जीवनी यशगीत” के रूप में रचना की गई है, वह इस प्रकार है…*

*स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी,*
(संक्षिप्त जीवनी यशगीत)

जगद्गुरु शंकराचार्य जी, आपकी महिमा अपरम्पार।
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, महिमा जाने जग संसार।।
ऋग्वेदीय पूर्वामनाय श्री गोवर्धन पीठ हैं स्वामी।
145 वें शंकराचार्य जी, धार्मिक नेता हैं स्वामी।।

जन्म तिथि वह तीस जून है, सन् उन्नीस सौ तिरालीस।
जन्म भूमि गांव हरिपुर बख्सी, जिला है मधुबनी निवासी।।
पिताजी पंडित लाल वंशी झा, पुत्र नीलांबर झा अवतार।
माता श्रीमति गीता देवी, नीलांबर के पालनहार।।

प्रारंभिक शिक्षा हुईं बिहार में, नीलांबर फिर दिल्ली में।
दो साल तक करी पढ़ाई, तिब्बिया काॅलेज दिल्ली में।।
छात्रसंघ विद्यार्थी परिषद, बने उपाध्यक्ष किए विकास।
अगले बार दूसरे चुनाव में, बने सचिव रचे इतिहास।।

अट्ठारह अप्रैल 1974 को, पहुंचे धर्मसभा हरिद्वार।
धर्मसम्राट श्री करपात्री जी, संन्यासी का दिए संस्कार।।
नाम निश्चलानंद सरस्वती, जीवन बदल गया आचार्य।
नौ फरवरी 1992 को, गोवर्धन पीठ शंकराचार्य।।

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी, वैदिक गणित के किए प्रचार।
कई पुस्तकें लिखी आपने, शोध चल रहे अब विस्तार ।।
देश विदेश में चर्चा आपकी, मुख्य मुद्दों दिए विचार।
श्रीमद्भगवत कर्मतत्व लिख, फिर लिखा श्रीशिवावतार।।

विश्वगुरु हैं पूरी पीठ के, महिमा आपकी अपरंपार।
भारत के ओड़िशा राज्य में, जहां लगे जगदीश दरबार।।
धर्म सनातन रक्षा करने, भारतीय संस्कृति उद्धार।
‘श्याम चन्द्र’ हैं शरण आपके, करें प्रार्थना बारंबार।।

*रचनाकार -*
संगीतज्ञ- श्याम कुमार चन्द्रा
रेलवे काॅलोनी सक्ती, छत्तीसगढ़
संपर्क मो.नं.- 79994 51129.

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